Sonia Jadhav

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डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 6

भाग 6
तारा ने घर में कदम रखा ही था कि दादी की तीखी आवाज़ कानों में पड़ी।
इतनी देर कैसे कर दी आने में बिटिया? सुबह ही निकल गयी थी  तू तो डांस स्कूल, तेरी माँ कह रही थी और अब शाम के 8 बज रहे हैं। इतनी देर कहाँ कर दी?

प्रणाम दादी, कब आयीं आप गाँव से?
मैंने दादी को गले लगाते हुए प्यार से पूछा।

दोपहर को आयी हूँ तारा, तेरा चाचा छोड़ गया था।

दादी आपने मेरा डांस शो देखा था टीवी में?

हाँ देखा था। मुझे तो आजकल का डांस कुछ समझ नहीं आता, बस इधर से उधर कूदते रहते हैं। डांस तो तेरा अच्छा था पर उस लड़के का क्या चक्कर है? क्या नाम है उसका, याद नहीं आ रहा(दादी अपने दिमाग पर जोर डालते हुए)

दादी उसका नाम अमर है। बहुत अच्छा डांस करता है वो। अगर वो नहीं होता मेरे साथ तो मैं तो जीत ही नहीं पाती।

अभी उस लड़के के साथ ही तो घूम फिरकर नहीं आ रही ना तू, सच बता मुझे?

मुझे तो लगा था इधर उधर की बातों में फंसाकर, दादी का ध्यान ही भटका दूंगी इस बात से। लेकिन दादी भी दादी है एकदम अड़ियल। एक बात पर दादी की सुई अटक गयी तो अटक गई, फिर वहाँ से हिलाना दादी को बड़ा मुश्किल होता है।

दादी आज अमर और मेरे डांस शो जीतने की ख़ुशी में एक पार्टी रखी थी डांस स्कूल वालों ने। हम दोनों की जीत को सम्मानित करने के लिए हमें बेस्ट डांसर की ट्रॉफी भी दी थी। यह देखो ट्रॉफी…..मैंने बैग से निकालकर दादी को ट्रॉफी दिखाई।
दादी ने ट्रॉफी देखी और मेज पर रख दी।

बस दादी पूरा समय वहीँ बीत गया। फिर सारे दोस्त अलग से पार्टी मांगने की जिद करने लगे तो सबको हम दोनों ने मिलकर कॉफी शॉप में थोड़ा खिला पिला दिया। बस उसी में देर हो गयी।

ठीक है तारा कल से देर मत करियो, घर समय पर आ जाइयो।

डांस शो में तेरी जीत की मुझे बहुत ख़ुशी है बिटिया। लेकिन यह प्यार-मोहब्बत वाला चक्कर मुझे समझ नहीं आया। मैं होती यहाँ तो तुझे डांस शो में भाग ही नहीं लेने देती।
गाँव में जब टीवी में देखा तुझे और उस लड़के को तो तब मुझे मालूम चला यह तो चक्कर ही कुछ और है। तेरी माँ को फोन किया तो उसने कहा…..माँ जी झूठमूठ का है सब, तारा और उस लड़के के बीच कोई चक्कर-वक्कर नहीं है।

तेरी माँ की बात सुनकर मेरी जान में जान आयी। पुरस्कार राशि लाखों में थी तो इसलिए मैं यह सोचकर चुप हो गयी कि कल को यह पैसा तेरे दहेज़ में काम आ जायेगा, वरना मैं तो तुझे उसी वक़्त शो से वापिस बुला लेती।

माँ और पापा चुपचाप यह अमृतवाणी सुन रहे थे। क्या करते दादी के आगे किसी की बोलने की हिम्मत नहीं थी। कुछ बोलो दादी को तो वो मरने को तैयार हो जाती थी। बेकार का इमोशनल ब्लैकमेल करतीं थी सबको।

नहीं दादी ऐसा कोई चक्कर नहीं है। आप निश्चिन्त रहो। अच्छा दादी जरा मैं फ्रेश हो लेती हूँ फिर आप से बात करती हूँ।

कमरे में जाते ही मैंने बैग उठाकर बिस्तर पर फेंक दिया।

जूही हँसने लग गयी… हा-हा

कैसा रहा दादी का ज्ञान, मज़ा आया ना?

जूही मेरा दिमाग मत खा….

दादी ने छोड़ा भी है कुछ खाने को, जो मैं खाऊँगी।

मैंने जूही को उठाकर तकिया मारा…. ये सब तेरी वजह से हो रहा है जूही। ना तू यह आईडिया मुझे देती और ना मैं और अमर……

जूही मेरी ओर तकिया फेंककर कहती है….. तू और अमर क्या….. पूरा तो कर जरा  वाक्य  अपना।

जूही हँसने लगती है और मेरे गले लगकर कहती है…..

एहसान मान मेरी उस सलाह का, पुरस्कार भी जीत लिया तूने और उसका दिल भी।

जूही को ज़ोर से गले लगाकर कहा मैंने…….हाँ बात तो सच कह रही है जूही तू। तेरे उस आईडिया की वज़ह से ही हम दोनों आज साथ है।

शुक्रिया मेरी प्यारी बहन लेकिन दादी का क्या करें?

कुछ नहीं तारा। वो गाना सुना है ना…..जब प्यार किया तो डरना क्या, प्यार किया कोई चोरी नहीं की, फिर छुप छुप आहें भरना क्या, जब प्यार किया तो डरना क्या।

जूही बस कर अब अपना ये बेसुरा गाना, दादी ने सुन लिया तो फिर से अमृतवाणी सुनाने आ जायेगी।
मैं और  जूही दोनों ही यह बात सुनकर जोर से हँसने लगे।

❤सोनिया जाधव

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4 Comments

Sandhya Prakash

18-Dec-2021 09:36 PM

कुछ नए आइडियाज, दादी को भी शामिल कर लिया आपने...!

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Arshi khan

17-Dec-2021 09:09 PM

दादी बनी जासूस! कुछ तो है?

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Rohan Nanda

15-Dec-2021 09:02 PM

Kafi achchi khani

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